मुसदद्दी - एक प्रेम कथा - 1 संदीप सिंह (ईशू) द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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मुसदद्दी - एक प्रेम कथा - 1

मुसदद्दी - एक प्रेम कथा
1️⃣
लॉकडाउन एक बार फिर से बढ़ा दिया सरकार ने, अब आम आदमी कर ही क्या सकता है।


मुआ कोरोना थमने का नाम ही नहीं ले रहा था, सो मन मार कर लोगों ने लॉक डाउन को अपना लिया, जनाब स्थिति तो यह है कि रात के भोजन का इंतजाम कैसे हो?
इस चिंता मे मुँह मे मक्खी यदा कदा बैठ कर तन्द्रा भंग कर देती थी।
भला आम आदमी कौनो फिल्मी सितारा थोड़े ना है, जित्ते में मंगरू का घर है , पूरा परिवार रह लेता है, उत्ता बड़ा तो किचन रूम है उनका।
उपर से तुर्रा ये कि अब सितारा भाई भिंडी की सब्जी बनाना सीख लिये लाकडाउन की घर बन्दी मे।
भला हो सोशल मिडिया का बरखुरदार " गवाही के लिये लाइव भिंडी की भुजिया बनायें।
खैर सब कौनो न कौनो प्रकार से लाकडाउन हो जिये जा रहा है।
बाजार दुकान हाट गली घाट कहीं भी देखो ये नए आशिक जो घोसला कट बाल और आधे पिछवाड़े तक लटकी पैंट बार बार खिंच कर बताना चाह रहा है कि नै नै अबे टोपा (मुर्ख) हो का चबूतरा ढंके तो है ।

खैर दिन भर मे पाँच सात को मन ही मन प्रयोजियाने वाले लौंडे भला लॉक डाउन में अपने कुत्ते की पूछ जैसे इश्क को कहाँ दबा दे। अब अब मोदी जी लड़के का इश्क थोड़े न समझ पायेंगे ।
लिहाजा हम जैसों से ये इश्क का दर्द देखा नहीं गया सो मियां मुसदद्दी के तपती धूप मे उफनते इश्क को कलम उठा लिये कलमबद्ध करने को।
जब नाशपीटा कोरोना नही था तब के दिनों को याद कर -2 मुसद्दी भाई मन बहला रहे थे , सांत्वना दे रहे थे ।
अब चौराहे , स्कूल , बजार सब बन्द है सो आँखे भी सेंकने को तरस गई।
लिहाजा एक आध चक्कर लगा होते थे। पर पुलिस थी की मुस्तैद , पूरे मूड मे , पकड़ कर रोड पर ही पिछवाड़े पर फिसलती जींस जो गुरु फाड़ ही दोगे का, खींच के अमे औकात भर ढंके तो है , चीख रही थी।
पर पुलिस वाली मोहतरमा पुरी तबियत से मुसद्दी के पिछवाड़े को फाइवर के डंडे से कूट -2 कर "स्मृति चिन्ह"प्रदान कर घर भेज रही थी ।
सो मुसदद्दी की आशिकी मजाक थोडे़ न थी ।दिन में निकलना दूभर हो गया , लिहाजा मुसदद्दी डिप्रेशन मे जाने को हो आये।
कही इश्क काफूर न हो जाये , सो इश्क को कोमा मे न जाने के लिये शराबबन्दी के दौर में पटट्ठे ने ' सुरा ' का जुगाड़ कर लिया ।
और तीन रुपये के चखने को मि . बीन्स स्टाइल में नजाकत से खाते हुये जाम छलका दिये ।
कई दिनों में मिली थी ज्यादा खींच गये , अब मुसदद्दी पजामे से बाहर निकल गये । बेचारी विधवा माँ के सर पर तांडव कर दियें।
अमेरिका के राष्ट्रपति की तरह कुछ कोरोना पर , सरकार को , फिर लाँक डाउन को माँ बहन कर के नवाजा, सो अम्मा आपे से बाहर हो गई ।
लॉक डाउन मे पड़ोसी भी नहीं आये थे समझाने बस अपने घर पर मुँह मे मास्क चढ़ाये सोशल डिस्टेंसिग का पालन कर बस बिना टिकट शो देख रहे थे ।
अम्मा बेचारी बड़े धरम संकट मे। अचानक अम्मा मर्दानी मोड पर आ गई।
मटमैले मास्क को मुंह पर चढ़ाया, मास्क भी रिरिया रहा था- अरे अम्मा आज तो धो दो डेटाल से ना सही चूरका पौडर ( वाशिंग पाउडर ) से ही सही, तुम्हारै तो रक्षा करेंगे।
पर अम्मा कहाँ सुनने को तैयार पर अम्मा तो ' मदर इंडिया ' बन चुकी थी ।
अंबानी जी की कृपा वाला खुद लुट जाओ , मगर जियो (Jio) वाला झुनझुना निकाल, अम्मां ने धूल झाड़ने को फूंक मारी मगर फुंक बेचारी मास्क मे ही दम तोड़ गयी ।

तुरत्त 100 नं . डायल किया और एकै सांस मे पुरा राम कथा सुनाय दिया अम्मा ने ।
पलक झपकते पुलिस की वर्दी वाले भद्र जवान अम्मा के सामने ही मुसद्दी पर लाठिया भांज दी , अब अम्मा का करुण रस निकलने लगा और छोडने की मांग की।

पुलिस ने डंडा रोका पर मुसदद्दी को थाने ले गई । दो दिन मुहल्ले वालों के सुकून से बीते , पर आज फिर मुसदद्दी के कदमो ने लंगडाते हुये ग्रह प्रवेश किया।